●●●●●●●●▬▬▬▬▬▬ஜ۩त्रेतायुगी करील वृक्ष ۩ஜ▬▬▬▬▬●●●●●●●●●●
पावन करील वृक्ष , राघव वन , राम गमन |
कहते सियरहिया जो साक्षी है त्रेता युग की ||
बाबा श्री घुश्मेश्वर भगवान की महिमा अपरम्पार है । लोक मान्यता है कि भगवान राम अपने वनवास जाते समय थक गए थे और यंही पर विश्राम किया था और सई नदी के स्वच्छ जल से स्नान कर भगवान घुश्मेश्वर जी के दर्शन कर आगे बढ़े थे | जंहा भगवान श्री राम जी थक कर आराम के लिए बैठे थे वहीँ उनके शरीर से एक पसीने की बूँद गिरी जिससे एक दिव्य करील का वृक्ष उत्पन्न हुआ | श्री घुइसरनाथ धाम पावन सई तट पर आज भी श्रद्धालु पुण्य पाने के लिए बाबा के दरबार में पूजा-दर्शन और जलाभिषेक करने के पश्चात् भक्त करील के दिव्य वृक्ष का पूजन करते हैं और एक अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य प्राप्त करते हैं
उपरोक्त सभी जानकारी आस पास के सभी विद्वानों और पूर्वजों की लिखी किताबों से प्राप्त की गयी | यह दिव्य जानकारी समिति ने पंडित श्री राधा रमण (हर्षपुर, गड्वारा) और महंथ श्री मयंक भाल गिरी जी के पिता श्री शिव मूर्ति गिरि जी ( पूर्व महंथ , श्री घुश्मेश्वरनाथ मंदिर ,घुइसरनाथ धाम) के साथ विचारविमर्श और समिति के सदस्यों द्वारा खुद अनुभव की गयी दिव्यता के बाद ही आपके समक्ष प्रस्तुत की गयी है|
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