●●●●●●▬▬▬▬▬▬ஜ۩बाबा हौदेश्वरनाथ धाम۩ஜ▬▬▬▬▬●●●●●●●●●
प्रतापगढ़ जिले के तहसील मुख्यालय कुण्डा से बारह किलोमीटर दक्षिण दिशा में मां गंगा के पावनतट पर विराजमान बाबा हौदेश्वर नाथ धाम की महिमा अपने आप में विलक्षण है।धाम के बगल से अनवरत बहने वाली गंगा नदी का नाम यहीं से जाह्नवी पड़ा है।मलमास में भक्तों की भारी भीड़ लगती है। दूर दराज से शिव भक्त मंदिर मेंजलाभिषेक करने आतें हैं।
बाबाहौदेश्वरनाथ धाम से जुड़ी कई किंवदन्तियां हैं जब महाराज भगीरथ ने भोले नाथकी घोर तपस्या से उन्हें प्रसन्न कर वरदान स्वरूप मां गंगा को लेकर जा रहेथे तो हौदेश्वर धाम से तीन किलोमीटर पश्चिम वर्तमान में करेंटी घाट के पासजाह्नवी ऋषि तपस्या में लीन थे। गंगा की तेज धारा का गर्जन सुनकर उनकीतपस्या भंग हो गयी। नाराज ऋषि ने गंगा का पान कर लिया।हताश भगीरथ ने शिवलिंग की स्थापना कर वर्तमान में शाहपुर गांवके पास पुन: घोर तपस्या प्रारम्भ की। यहां पर उन्होंने वेदी का निर्माणकिया और तपस्या और हवन-यज्ञ किया।कालान्तर में इस वेदी का नाम बेंती पड़ गया। इसके पश्चात घोर तपस्या सेप्रसन्न शिव जी ने पुन: दर्शन देकर बताया कि मां गंगा का जाह्नवी ऋषि नेपान कर लिया है। ऋषि की तपस्या कर उन्हें प्रसन्न करो और गंगा को अपने साथलेकर जाओ। भगीरथ की घोर तपस्या से प्रसन्न ऋषि ने सोचा कि यदि गंगा को अपनेमुख से बाहर निकालता हूं तो गंगा जूठी हो जायेंगी । तब ऋषिवर ने अपनी जंघाचीरकर मां गंगा को बाहर निकाला। इसके पश्चात उन्होंने बताया कि इस स्थानसे पांच किलो मीटर तक गंगा को जाह्नवी के नाम से जाना जाएगा। आज यह स्थानहौदेश्वर नाथ धाम के नाम से जनपद में विख्यात है। यहां पर रोजाना हजारों कीसंख्या में श्रद्धालु पूजा दर्शन के लिए आते हैं। मलमास में श्रद्धालुओं वशिवभक्तों की भारी भीड़ होती है |
बाबाहौदेश्वरनाथ धाम से जुड़ी कई किंवदन्तियां हैं जब महाराज भगीरथ ने भोले नाथकी घोर तपस्या से उन्हें प्रसन्न कर वरदान स्वरूप मां गंगा को लेकर जा रहेथे तो हौदेश्वर धाम से तीन किलोमीटर पश्चिम वर्तमान में करेंटी घाट के पासजाह्नवी ऋषि तपस्या में लीन थे। गंगा की तेज धारा का गर्जन सुनकर उनकीतपस्या भंग हो गयी। नाराज ऋषि ने गंगा का पान कर लिया।हताश भगीरथ ने शिवलिंग की स्थापना कर वर्तमान में शाहपुर गांवके पास पुन: घोर तपस्या प्रारम्भ की। यहां पर उन्होंने वेदी का निर्माणकिया और तपस्या और हवन-यज्ञ किया।कालान्तर में इस वेदी का नाम बेंती पड़ गया। इसके पश्चात घोर तपस्या सेप्रसन्न शिव जी ने पुन: दर्शन देकर बताया कि मां गंगा का जाह्नवी ऋषि नेपान कर लिया है। ऋषि की तपस्या कर उन्हें प्रसन्न करो और गंगा को अपने साथलेकर जाओ। भगीरथ की घोर तपस्या से प्रसन्न ऋषि ने सोचा कि यदि गंगा को अपनेमुख से बाहर निकालता हूं तो गंगा जूठी हो जायेंगी । तब ऋषिवर ने अपनी जंघाचीरकर मां गंगा को बाहर निकाला। इसके पश्चात उन्होंने बताया कि इस स्थानसे पांच किलो मीटर तक गंगा को जाह्नवी के नाम से जाना जाएगा। आज यह स्थानहौदेश्वर नाथ धाम के नाम से जनपद में विख्यात है। यहां पर रोजाना हजारों कीसंख्या में श्रद्धालु पूजा दर्शन के लिए आते हैं। मलमास में श्रद्धालुओं वशिवभक्तों की भारी भीड़ होती है |
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