●●●●●●▬▬▬▬▬▬ஜ۩बाराही देवी मां चौहर्जन धाम۩ஜ▬▬▬▬▬●●●●●●●●●
मान्यता है कि रानीगंज तहसील मुख्यालय से करीब पांच किमी उत्तर सई नदी केकिनारे टीले पर स्थित आदि शक्ति नव दुर्गा के पूजा स्थलों में शक्तिपीठ मां चौहर्जन धाम प्रमुखहै। पौराणिक के साथ इसका ऐतिहासिक महत्व भी है। पवित्र मंदिर की ऐतिहासिकता एवं निर्माण काल का वर्णन लोक कथाओं पुराणोंएवं किवदंतियों में भी है। लोकमत है कि छठीं शताब्दी में इस मंदिर कानिर्माण कन्नौज नरेश जयचंद के दो सैनिकोंआल्हा और ऊदल ने किया था। मंदिर के पाश्र्र्वभाग में आज भी आल्हा-ऊदल काभग्न कूप स्थित है, जो कि इस बात की प्रमाणिकता को सिद्ध करता है।यह मंदिर छठवीं शताब्दी का प्रतीत होता है। यहां से मिले अवशेषों से कृष्णलोहित मृदभाण्ड संस्कृति का पता चलता है।यहांगोस्वामी तुलसीदास भी आया करते थे। लोगों का अटूट विश्वास हैकि मां के दरबार में जो श्रद्धा से आया वह निराश नहीं रहा।
मां चौहर्जन धाम यहां हर सोमवार और शुक्रवार को मेला लगता है। है। हजारों की संख्या में लोग इसमेले में सम्मिलित होते हैं।धाम पर नवरात्र में सबसे अधिक भीड़ होती है। शीतला सप्तमी और कार्तिक पूर्णिमा पर यहां लाखों का मजमा लगता है।चौहर्जन गांव के कारण यह चौहर्जन देवी केनाम से भी जानी जाती हैं। मनोकामना पूर्ण होने पर श्रद्धालु हलवा पूड़ी काप्रसाद चढ़ाते हैं और मुंडन संस्कार कराते हैं।
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