प्रतापगढ़ के विकासखंड विहार में बाघराय क्षेत्र स्थित पौराणिक बकुलाही नदी के किनारे स्थितसिद्ध पीठ मांकामाक्षी देवी धामहै, यह मंदिर माँ कामाक्षी को समर्पित है, माता रानी के धाम को माँ कामासिन धाम से भी जाना जाता है|लोगों का अटूट विश्वास हैकि मां के दरबार में जो श्रद्धा से आया वह निराश नहीं रहा।
मंदिर की स्थापना को लेकर पुराणों में कहा गया है कि राजा दक्ष द्वारा कराएजा रहे यज्ञ में सती बगैर बुलाए पहुंच गईं थीं। वहां शिव जी को न देखकरसती ने हवन कुंड में कूदकर जान दे दी। जब शिव जी सती का शव लेकर चले तोविष्णु जी ने चक्र चलाकर उसे खंडित कर दिया था। जहां-जहां सती के शरीर काजो अंग गिरा, वहां देवी मंदिरों की स्थापना कर दी गई। यहां सती का कामाक्ष (कमर के नीचे का भाग ) भाग गिरा था |मां कामासिन धाम यहां हर सोमवार को मेला लगता है। है। हजारों की संख्या में लोग इसमेले में सम्मिलित होते हैं।धाम पर नवरात्र में सबसे अधिक भीड़ होती है।
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